गुजरात में दो चरणों में होने वाले इस चुनाव में सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच होनी है। माना जा रहा है कि प्रदेश का चुनाव परिणाम 2019 लोकसभा चुनावों को भी प्रभावित करेगा। घोषित कार्यक्रम के मुताबिक, प्रदेश में नौ और 14 दिसंबर को दो चरणों में मतदान होगा और मतगणना 18 दिसंबर को होगी। प्रधानमंत्री मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं। आगे आक्रामक चुनाव प्रचार भी देखने को मिलेगा।
एक तरह से कहा जाए तो गुजरात विधानसभा चुनाव को मोदी की लोकप्रियता और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के चुनावी प्रबंधन की अग्निपरीक्षा होंगे। प्रदेश का चुनाव कांग्रेस एवं पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी इतना ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह ऐसे वक्त में प्रचार की कमान संभाले हुए हैं जब उन्हें कांग्रस अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें चल रही हैं। गुजरात चुनाव में कांग्रेस की जीत राहुल के लिए बहुत बड़ा तमगा होगा, क्योंकि अभी तक ज्यादातर राज्यों में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार ही हाथ लगी है।
वहीं कांग्रेस को पार्टी के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वघेला के पार्टी छोड़ने और अपने दम पर चुनाव लड़ने के फैसले से बड़ा नुकसान हुआ है। वघेला के पार्टी छोड़ने से उनके प्रति वफादारी रखने वाले कई विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। बहरहाल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर का साथ मिलने से कांग्रेस को कुछ आसानी जरूर हुई।
लोकप्रिय चेहरे की कमी कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी –
गुजरात में लोकप्रिय चेहरे की कमी से कांग्रेस जूझ रही है। हाल ही एक न्यूज चैनल द्वारा कराए गए ओपिनियन पोल में भी प्रमुख रूप से उभरकर सामने आई थी। 18243 लोगों के सैंपल साइज पर 34 फीसदी लोगों ने वर्तमान मुख्यमंत्री विजय रूपानी को मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद बताया। वहीं, कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल को 19 फीसदी जबकि भरत सोलंकी 11 फीसदी लोगों मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।
जाहिर है राहुल गांधी चाहे जितना भी जोर लगा ले लेकिन इस बड़ी कमजोरी से पार पाना आसान नहीं होगा। उधर, यह चुनाव ‘माल एवं सेवा कर’ लागू करने और नोटबंदी सहित मोदी सरकार की विभिन्न आर्थिक नीतियों और आर्थिक सुधारों पर जनमत संग्रह जैसा भी होगा, क्योंकि सरकार के इन बड़े आर्थिक फैसलों का सबसे ज्यादा असर गुजरात के बड़े व्यापारिक समुदाय पर ही पड़ा है।
भाजपा की हिन्दुत्व की राजनीति का गढ़ माने जाने वाले पश्चिमी राज्य में पिछले कुछ वक्त से लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हें। सबसे बड़ा और उग्र प्रदर्शन सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को लेकर पटेल समुदाय के लोगों ने किया.पटेलों का समर्थन हटने के बाद पिछले दो शक से ज्यादा वक्त से प्रदेश में शासन चला रही भाजपा के लिए स्थिति थोड़ी नाजुक हो सकती है।